क्यू भूल जाते है हम...
कैसे भूल जाते है हम.. वो लफ्ज़, जिसने हमे मासूमियत सिखाई है। वो चहरा, जिनसे हम सच्चाई समझते है। रंगीला बचपन जाने कौन ले गया.. हसरती,चमकती जवानी जाने क्यू रुला दिया.. हर एक वादा हर एक वृत जिनसे रिश्ते पलते थे जाने कब छूट गया.. कैसे भूल जाते है हम? ज़िन्दगी छोटी है। क्यू भूल जाते है हम? एक ही तो ज़िन्दगी है! न तेरे लिए रुकती है, न मेरे लिए... सपनों की सीढ़िया चढ़कर, बुराई जलाकर, परायों को अपनाकर, चलो, चलते है उस पहाड़ी की ओर जहा सब एक हो और एक रब हो॥